नींद नहीं नयनों में सपने छल -छल जाते हैं , सर्दी की बरसातों में वो याद हमें बहुत आते। नींद नहीं नयनों में सपने छल -छल जाते हैं , सर्दी की बरसातों में वो याद हमें ब...
मैं तो चाहूँ नए अरमानों को पर मेरी संवेदना रहे, हर वक़्त तुमसे ही उलझ। मैं तो चाहूँ नए अरमानों को पर मेरी संवेदना रहे, हर वक़्त तुमसे ही उलझ।
शायद क़ैद दीवारों से निकल कर खुली फ़िज़ाओं में एक आख़िरी , दम भरना चाहती है। शायद क़ैद दीवारों से निकल कर खुली फ़िज़ाओं में एक आख़िरी , दम भरना चाहती है।
बहुत सारे प्रश्न कह रही है, आँखें जो देख रही हैं टुकुर-टुकुर, बन पंछी उड़ चली यह दीवानी, अब देख ... बहुत सारे प्रश्न कह रही है, आँखें जो देख रही हैं टुकुर-टुकुर, बन पंछी उड़ चली...
खिड़की बंद पड़ी है कब से, ज़ेहन में भ्रष्टाचार भरा जब से। खिड़की बंद पड़ी है कब से, ज़ेहन में भ्रष्टाचार भरा जब से।
पाने को एक झलक तुम्हारी चाहने वालों की भीड़ लगा करती थी ! वो तुम्हारे घर की खिड़की का पर्दा जब हवा ... पाने को एक झलक तुम्हारी चाहने वालों की भीड़ लगा करती थी ! वो तुम्हारे घर की खिड़...